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    दीन मोहम्मद के इंडियन रेस्टोरेंट की ये थी खासियत

    गूगल ने आज अपना डूडल शेक दीन मोहम्मद को लेकर बनाया है. दीन मोहम्मद को दुनियाभर के लोग एक सर्जन, यात्री और व्यापारी के रूप में जानते हैं. उनका जन्म 15 जनवरी सन् 1759 में पटना में हुआ था. वर्ष 1794 में आज ही के दिन उन्होंने इंग्लैंड में अपनी पहली अंग्रेजी किताब पब्लिश भी की थी. इंग्लैंड में पहला इंडियन रेस्टोरेंट खोलने वाले भी वे पहले भारतीय थे.

    विधि

    गूगल ने आज अपना डूडल शेक दीन मोहम्मद को लेकर बनाया है. दीन मोहम्मद को दुनियाभर के लोग एक सर्जन, यात्री और व्यापारी के रूप में जानते हैं. उनका जन्म 15 जनवरी सन् 1759 में पटना में हुआ था. वर्ष 1794 में आज ही के दिन उन्होंने इंग्लैंड में अपनी पहली अंग्रेजी किताब पब्लिश भी की थी. इंग्लैंड में पहला इंडियन रेस्टोरेंट खोलने वाले भी वे पहले भारतीय थे.

    जब शेक10 साल हुए तो उनके पिता का निधन हो गया. उनके पिता सैनिक थे. जिसके बाद उन्हें कैप्टन गॉडफ्रे इवान बेकर के विंग में शामिल कर लिया गया. बाद वे ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक बने. काफी दिन सेवा करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए. आठ साल तक इंग्लैंड में रहने के बाद उन्होंने सन 1810 में वहां भारतीय खान-पान को बढ़ावा देने के लिए इंडियन रेस्टोरेंट खोला. यह इंग्लैंड में ऐसा पहला रेस्टोरेंट था जो भारतीय खाना सर्व करता था. इसका नाम हिंदुस्तान कॉफी हाउस था.

    सेंट्रल लंदन के जॉर्ज स्ट्रीट पर बने पोर्टमैन स्वॉयर पर यह रेस्टोरेंट था. इस रेस्टोरेंट की खासियत थी कि यहां बेहतरीन चिलम और तंबाखू वाला हुक्का परोसा जाता था. साथ ही इंडियन डिशेज की अलग ही महक इस रेस्टोरेंट से आती थी. हालांकि फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से दीन को यह रेस्त्रां दो साल में ही बंद करना पड़ा.

    रेस्टोरेंट बंद करने के बाद शेक मोहम्मग लंदन के ब्राइटन शहर में बस गए. जहां उन्होंने एक बाथ स्पा खोला. इस स्पा में कस्टमर के हर्बल स्टीम बाथ देते. थे. उनका यह स्पा कस्टमर की चंपी के लिए खूब फेमस हुआ. इस चंपी को उन्होंने वहां के लोगों के हिसाब से शैंपू का नाम दे दिया.

    शेक मोहम्मद की चंपी करने के स्टाइल को सुनकर 1822 ईस्वी में इंग्लैंड चौथे किंग जॉर्ज ने उन्हें अपना निजी चंपी सर्जन नियुक्त कर लिया था. मोहम्मद की मृत्यु 1851 में 32 ग्रैंड परेड, ब्राइटन में हुई. आज भी इंग्लैण्ड के ब्राइटन संग्रहालय में शेक मोहम्मद की एक भव्य तस्वीर मौजूद है. लोग उन्हें दो देशों की संस्कृति को जोड़ने के लिए याद करते हैं.

     

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