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    घर-घर में बनने वाली गुझिया की कुछ ऐसी है रोचक कहानी

    तो भिया ऐसा है कि गुझिया तो अपन होली और दिवाली दोनों इ त्योहार पर खाते हैं. अभी यार थोड़े दिन पहले ही, अपने बंगाल और ओड़िशा आपस में भिड़ लिये कि भिया रसगुल्ला तो हमारा है बंगाल बोले कि ये तो हमारी मिठाई है तो ओडिशा बोले कि अरे ये तो अपनी है भिया. खैर! तो गुझिया का भी भिया कुछ ऐसा ही है. यहां दो स्टेट के बीच में नी पेलवान, बल्कि ये तो दो त्योहारों के बीच में लड़ाई हो री है.  होली और दिवाली. कई लोग बोले कि गुझिया तो दिवाली पर खाते हैं तो कोई लोग बोले कि ये तो होली पर ज्यादा खाते हैं. तो अप्पने सोचा कि चलो ये चीज अपन ही बता दें कि भिया ये गुझिया कब ज्यादा खाते हैं और ये आखिर कहां से आया है.

    विधि

    तो भिया ऐसा है कि गुझिया तो अपन होली और दिवाली दोनों इ त्योहार पर खाते हैं. अभी यार थोड़े दिन पहले ही, अपने बंगाल और ओडिशा आपस में भिड़ लिये कि भिया रसगुल्ला तो हमारा है, बंगाल बोले कि ये तो हमारी मिठाई है तो ओडिशा बोले कि अरे ये तो अपनी है भिया. खैर! तो गुझिया का भी भिया कुछ ऐसा ही है. यहां दो स्टेट के बीच में नी पेलवान, बल्कि ये तो दो त्योहारों के बीच में लड़ाई हो री है. होली और दिवाली. कई लोग बोले कि गुझिया तो दिवाली पर खाते हैं तो कोई का मानना है कि ये तो होली पर ज्यादा खाते हैं लोगबाग. तो अपन ने सोचा कि चलो ये चीज अपन ही बता दें कि भिया ये गुझिया कब ज्यादा खाते हैं और ये आखिर कहां से आयी है.

    तो भिया, सच बताऊं तो ये गुझिया मीडिल ईस्ट से आई है. ये हेनी एक मिठाई है. बाकलावा जो कि टर्की की है, ओरीजनल में तो पर हेनि आजकल मीडिल ईस्ट वाले जो देश हैं वो सबकी सब बोले कि ये तो हमारी मिठाई है, लेकिन भिया गुझिया भी इसी मिठाई से निकली हैगी. पन जो अपनी पुरानी मान्यताओं की माने तो ये अपने इधर (अपने देश में) उत्तर भारत के बुंदेलखण्ड क्षेत्र से आई है. इसलिए भिया ये जो गुझिया हैनी अपने यूपी के लोग खूब खावे हैं. अब अपना मध्य प्रदेश और राजस्थान भी यूपी की बारडर से लगा है, तो ये तो अपनी तरफ आनी ही थी ना यार भिया. अब अच्छी चीज तो भिया पूरे देश में तो फैलती है ना, तो ऐसे ही गुझिया भी पूरे देशभर में फैल गई.

    अब रसगुल्ला बंगाल से लेकर पूरे देश में पहुंच गया तो यार भिया गुझिया भी तो पहुंचनी था ना यार. तो ये भी उत्तर भारत से हो कर पूरे देशभर में फैल गयी. और ये अपना साउथ के लोगों को भी पसंद आया. पर वहां गुझिया की स्टफिंग (मसाले) में नारियल का मसाला भरते हैं. क्योंकि क्या है ना भिया साउथ में यार मावा-वावा कम मिलता है. इसलिए वां के लोग इसमें नारियल का मसाला भर कर मस्त घी में तल कर खाते हैं.

    अब ये तो अपन को बढ़िया लगी और सभी को अच्छी लगी. अब त्योहार में भिया बिना मिठाई के मजा नी आये यार तो लोगों ने इसे दिवाली और खास तौर पर होली पर बनाकर खाने लगे. अब ये जो है भिया होली पर लोग ज्यादा खाते हैं. यार क्या है ना भिया गुझिया जो है मैदे और मावा से बनती है. अब अपने इधर तो क्या है कि दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन होता है और उपवास रखना पड़ता है, और उपवास में मैदा तो नी खाते यार, तो इस दिन अपन गुझिया नी खा पाते यार. अब होली-वोली पर तो उपवास-वास ऐसा कुछ नहीं दिनभर खाओं तो इसलिए गुझिया होली पर ज्यादा खाई जाती है.

    तो भिया ये है गुझिया की पूरी हिस्टरी यानी कहानी. अपन तो इस होली पर भी मस्त बढ़िया मावा में काजू, बादाम डालकर मसाला बनाकर मस्त घी में तल कर गुझिया बनाकर खाएंगे. और है नी भिया आप भी इसे बनाकर होली पर खाओं. अरे भिया होली के दिन खाने-पीने का मजा ही कुछ और है. तो भिया राम, तिरभिन्नाट होली खेलो. भिया मावा गुझिया बनाने का वीडियो तो देखते जाओ...
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