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    अभी भी देर नहीं हुई, ऐसे पहचानें असली और नकली तेल, मावा और दूध

    त्योहारी सीजन में मिठाइयों, मावे, दूध में मिलावट का खेल तो आम है लेकिन उससे भी ज्यादा खतरनाक है तेल में मिलावट होना. ऐसा होली, दिवाली के वक्त ज्यादा होता है क्योंकि ऐसे समय में या तो आप बाहर से खाने-पीने की चीजें खरीदते हैं या फिर घर में खुद बनाते हैं. ऐसे वक्त में चीजों की मांग बढ़ने से कारोबारी मिलावट का खेल करते हैं. यह मिलावट केवल तेल ही नहीं बल्कि, दूध और खोया में आम है. आइए जानते हैं इन चीजों के असली-नकली होने की क्या है पहचान.

    विधि

    त्योहारी सीजन में मिठाइयों, मावे, दूध में मिलावट का खेल तो आम है लेकिन उससे भी ज्यादा खतरनाक है तेल में मिलावट होना. ऐसा होली, दिवाली के वक्त ज्यादा होता है क्योंकि ऐसे समय में या तो आप बाहर से खाने-पीने की चीजें खरीदते हैं या फिर घर में खुद बनाते हैं. ऐसे वक्त में चीजों की मांग बढ़ने से कारोबारी मिलावट का खेल करते हैं. यह मिलावट केवल तेल ही नहीं बल्कि, दूध और खोया में आम है. आइए जानते हैं इन चीजों के असली-नकली होने की क्या है पहचान.

    जब बात तेल की आती है तो इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़झाला होता है. पाम ऑयल व राइसब्रान की मिलावट कर कई सारी चीजें बनती हैं. बाजार में पाम ऑयल का तेल 55 से 60 रुपये प्रति लीटर है. जबकि राइसब्रान करीब 45 रुपये लीटर मिलता है. मिलावटखोर राइसब्रान या पाम आयल में आधा से एक तिहाई तक सरसों का तेल मिलाते हैं. इन तेलों में खुशबू नहीं होती है. इसलिये ये मिलावट करने के बाद तेल में सरसों की खुशबू के साथ कड़वाहट भी देता है. असली तेल दिखाने के लिए इसमें पीले रंग का एक केमिकल मिलाया जाता है. इसके बाद तेल को बाजार में सप्लाई कर दिया जाता है. यमुना सेंगुर नदी के तटवर्ती गांवों में बड़े पैमाने पर होने वाली आर्जीमोन के बीज लाही के साथ पिराई कर तेल बनाया जाता है. इस तेल के सेवन से ड्राप्सी का खतरा रहता है. जबकि राइसब्रान में पीला रंग, केमिकल, ग्लिसरीन और सेंट मिलाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.

    इस तरह के तेल से होती है गंभीर बीमारियां
    केमिकल व ग्लिसरीन युक्त तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इससे लीवर संबंधी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बढ़ सकता है. इस तरह के तेल से बने खाने से ड्राप्सी बीमारी हो सकती है. ड्राप्सी पीड़ितों के शरीर में सूजन के साथ फेफड़ों में पानी जमा होने का खतरा रहता है. तेल के अधिक प्रयोग करने पर फूड प्वायजनिंग और आंतों में इंफेक्शन सहित अन्य पेट की गम्भीर बीमारियां जन्म लेने लगती हैं. ज्यादा समय होने पर लीवर डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है और ड्राप्सी की चपेट में आने पर सेवन करने वाले व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

    इस तरीके से पहचानें असली और नकली तेल
    घरों में प्रयोग करने वाले असली व नकली तेल की पहचान करने के लिए आसान तरीका है.
    - इसके लिए हाथ साफ करके तेल की मालिश करें. यदि त्वचा पर तेल रंग छोड़ता है तो समझिये मिलावट है.
    - तेल को फ्रिज में रखने पर वह जम जाये, तो समझिये कि यह मिलावटी है.
    - मिलावटी तेल को गरम करने पर खाना बनाने वाले व्यक्ति को चक्कर आने जैसी स्थिति या छींके आने लगती हैं.
    - मिलावटी तेल से बना भोजन करने पर एसिडिटी बनने लगती है तथा पेट फूलने की शिकायत बन जाती है.

    दूध में पानी मिला है या फिर सोडा, ऐसे पहचान सकते हैं

    तेल के साथ दूध में भी काफी हद तक मिलावट होती है. आइए जानते हैं असली और नकली दूध में कैसे भेद कर सकते हैं.
    - सिंथेटिक दूध की पहचान करने के लिए उसे सूंघें. अगर साबुन जैसी गंध आ रही है तो इसका मतलब है कि दूध सिंथेटिक है जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती.
    - असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा लगता है.
    - असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है. दूध में पानी के मिलावट की पहचान के लिए दूध को एक काली सतह पर छोड़ें. अगर दूध के पीछे एक सफेद लकीर छूटे तो दूध असली है.
    - अगर असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है.
    - दूध में पानी की मिलावट की जांच करने के लिए किसी चिकनी लकड़ी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो बूंद टपकाकर देखें. अगर दूध बहता हुआ नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार सा निशान बन जाए तो दूध शुद्ध है.
    - असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती. वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी.

    मिनटों में पहचान जाएंगे असली और नकली मावा

    अगर आप भी बाजार से खोया खरीदने जा रहे हैं तो ये टिप्स आपको असली और नकली मावा की पहचान करने में बहुत काम आएंगे.
    - मावा या खोया को अपने अंगूठे के नाखून पर रगड़ें. अलग यह असली है तो इसमें से घी की महक आएगी और खुशबू देर तक रहेगी.
    - हथेली पर खोया की गोली बनाएं. अगर यह फटने लग जाए तो समझिए मावा नकली है या इसमें मिलावट की गई है.
    - 2 ग्राम मावा का 5 मिलीलीटर गरम पानी में घोल लें और इसे ठंडा होने दें. ठंडा होने के बाद इसमें आयोडीन सोलूशन डालें. अगर खोया नकली होगा तो इसका रंग नीला हो जाएगा.
    - मावे में थोड़ी चीनी डालकर गरम करने अगर यह पानी छोड़ने लगे तो यह नकली है.
    - थोड़ा मावा आप खाकर देखिए अगर असली होगा तो मुंह में नहीं चिपकेगा जबकि नकली मावा चिपक जाएगा.
    - असली मावे को खाने पर कच्चे दूध जैसा आएगा.
    - नकली मावे को परखने के लिए पानी में डालकर फेंटने से वह दानेदार टुकडों में अलग हो जाएगा.
    - असली खोया को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह भी है कि असली मावा चिपचिपा नहीं होता.
    - चखकर भी असली खोया की पहचान की जा सकती है. चखने पर अगर मावे का स्वाद कसैला आता है तो मावा नकली हो सकता है.
    - वहीं अगर मावा खरीद रहे हैं तो अपनी विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें.
    - आप दुकान से मावा बनाने की तारीख पूछ सकते हैं. अगर मावा दो दिन से ज्यादा पुराना हो न खरीदें.
    - कच्चे मावा से बेहतर सिंका हुआ मावा लें तो मिठाई बढ़िया बनेंगी और खराब होने की संभावना कम हो सकती है.
    क्या हो सकता है ऐसे मावे की मिठाइयां खाने से
    - नकली मावे के कारण फूड पॉइजनिंग, उल्टी, पेट दर्द होने का खतरा हो सकता है.
    - मावे में घटिया किस्म का सॉलिड मिल्क मिलाया जाता है. इसमें टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स जैसी चीजों की मिलावट भी होती है.
    - ऐसे मावे से बनी मिठाइयों से किडनी और लिवर पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है.

    ऐसे बनाया जाता है नकली मावा या खोया
    - शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है.
    - वजन बढ़ाने के लिए स्टार्च और आलू मिलाया जाता है.

    ऐसे पहचानें गुझिया असली हैं या नकली


    - कुछ मिठाई की दुकानें गुझिया को शुद्ध घी में तली गुझिया के रूप में प्रचारित करती हैं, जबकि यह मिलावटी वनस्पति घी (डालडा) या रिफाइन तेल में तली होती हैं. इसलिए लाइसेंस प्राप्त विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें.
    - गुझिया खरीदते समय दुकान के स्वच्छता मानक पर भी ध्यान रखें. साथ ही शोकेस में रखी या जाली से ढकी गुझियां ही खरीदें.
    - दुकानदार या दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी साफ कपड़े पहने होने चाहिए और गुझिया देते समय वे दस्ताने जरूर पहने होने चाहिए.
    - खोया एक निश्चित अवधि तक ही सुरक्षित रह सकता है और अगर इसे सही तापमान में उचित प्रकार से नहीं रखा गया तो इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं, इसलिए खोए से अगर खराब, बासी महक आ रही है तो बिल्कुल न खरीदें.
    - खोये को अंगूठे और उगंलियों के बीच मसलकर भी इसकी शुद्धता जांची जा सकती है. अगर यह शुद्ध होगा तो मसलने से इसमें से तेल निकलेगा.
    - अगर आपको गुझिया घर पर बनाना है तो स्टार्च जांचने के लिए इसकी थोड़ी सी मात्रा खरीदकर घर पर उसे पानी में उबाल लें और ठंडा होने पर इसमें दो बूंद आयोडिन मिला दें, अगर यह नीला पड़ जाता है तो फिर यह मिलावटी खोया है.

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