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    इसलिए मकर संक्रांति पर खायी जाती है खिचड़ी

    मकर संक्रांति के शुभ असवर पर तिल-गुड़ के पकवानों के साथ ही दही चूड़ा और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाते हैं. वहां पर खास तरह का प्रसाद या खिचड़ी बनाई जाती है जिसे पोंगल कहा जाता है. यह रवा/सूजी बनता है, लेकिन चावल और कुछ सब्जियों को मिलाकर बनने वाली खिचड़ी का भी अपना एक महत्व है.

    विधि

    मकर संक्रांति के शुभ असवर पर तिल-गुड़ के पकवानों के साथ ही दही चूड़ा और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाते हैं. वहां पर खास तरह का प्रसाद या खिचड़ी बनाई जाती है जिसे पोंगल कहा जाता है. यह रवा/सूजी बनता है, लेकिन चावल और कुछ सब्जियों को मिलाकर बनने वाली खिचड़ी का भी अपना एक महत्व है.

    क्या है शास्त्रीय मान्याता
    शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का बहुत ही महत्व माना गया है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर चावल, दाल, हल्दी, नमक, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर खिचड़ी बनाई जाती है. इसके अलावा मकर संक्रांति पर खिचड़ी के सहायक व्यंजन के रूप में दही, पापड़, घी और अचार का मिश्रण भी किया जाता है.

    ये सामग्री चाहिए
    एक कप चावल
    एक कप मूंग की दाल
    आधा कप मटर
    आधा कप गोभी
    एक छोटी आलू, कटी हुई
    एक छोटा टमाटर, कटा हुआ
    बारीक कटी हुई 2 हरी मिर्च
    आधा छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
    एक चुटकी हींग पिसी हुई
    एक छोटा चम्मच जीरा
    स्वादानुसार नमक
    दो-तीन चम्मच घी
    एक छोटा चम्मच गरम मसाला
    - मूंग दाल और चावल साफ करके धो लें.
    - आंच पर कूकर या बर्तन में घी गरम करें.
    - अब घी में जीरे का तड़का लगाएं. फिर हरी मिर्च, जीरा, हल्दी और हींग डालकर मध्यम आंच पर एक मिनट तक पकाएं.
    - फिर इसमें मटर, आलू, गोभी और कटा हुआ टमाटर डालकर 4-मिनट तक भूनें.
    - इसके बाद इसमें दाल और चावल डालकर मिक्स करें.
    - फिर इसमें तीन कप पानी, गरम मसाला और नमक डालकर ढक्कन को बंद कर दें. कूकर में 3-4 सीटी आने के बाद आंच बंद कर दें. यदि दूसरे बर्तन में बना रहे हैं 4 कप पानी मिलाएं और ढककर 20-25 मिनट तक पकाएं.
    - कूकर का प्रेशर खत्म हो जाए, तो ढक्कन खोल दें.
    - अब मूंग दाल की खिचड़ी तैयार है. इसे दही, अचार, चटनी या रायते के साथ खाएं और खिलाएं.
    - इसमें पानी थोड़ा ज्यादा रखेंगे तो खिचड़ी पतली बनेगी.

    तिल-गुड़ से बने व्यंजन के भी हैं फायदे
    मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है. इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं. इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का बड़ा महत्व होता है. मकर संक्रांति में उत्तर भारत में ठंड का समय रहता है. ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने के बारे में विज्ञान भी कहता है. तिल-गुड़ से बने पकवानों को खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है जो सर्दी में शरीर की सुरक्षा के लिए मदद करता है. इस दिन खिचड़ी का सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है. ऐसा माना जाता है कि खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है. इसमें अदरक और मटर मिलाकर बनाने पर यह शरीर को रोग-प्रतिरोधक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है.

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