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    क्या लकड़ी और कोयले पर बना खाना अच्छा होता है? रिसर्च

    पुराने समय में लकड़ी और कोयले की आंच पर ही खाना बनाया जाता था. अगर आपको लकड़ी और कोयले पर बना खाना पसंद है तो बता दें कि एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक लकड़ी और कोयले पर खाना बनाने से सांस की बीमारी का खतरा हो सकता है.

    विधि

    पुराने समय में लकड़ी और कोयले की आंच पर ही खाना बनाया जाता था. अगर आपको लकड़ी और कोयले पर बना खाना पसंद है तो बता दें कि एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक लकड़ी और कोयले पर खाना बनाने से सांस की बीमारी का खतरा हो सकता है.

    अमेरिकन थोराकिक सोसाइटी जनरल की एक स्टडी के अनुसार लकड़ी और कोयले पर खाना बनाने वालों को गैस पर खाना बनाने वालों की तुलना में सांस की बीमारी का खतरा 36 प्रतिशत ज्यादा होता है.

    ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी स्टडी में यह पाया है कि जो लोग कोयले की आंच और लकड़ी पर खाना बनाना छोड़ अब गैस पर बनाने लगे हैं, उनमें इस सांस संबंधी बीमारियों में 14 प्रतिशत की कमी आई है. शोधकर्ताओं ने इसीलिए खाना बनाने के लिए बिजली या गैस चूल्हों का प्रयोग करने की सलाह दी है. इनके प्रयोग से सेहत में सुधार लाया जा सकता है.

    झुग्गियों में रहने वाले लोग आमतौर पर लकड़ी और कोयले की आंच पर ही रोटियां बनाते हैं. लकड़ी और कोयले पर खाना बनाने से इसे फूंकते रहना पड़ता है. इस वजह से इसका धुंआ सीधे फेफड़ों में घुसता है जिससे धीरे-धीरे यह सांस की बीमारी का रूप लेने लगता है. ठोस ईंधन के इस्तेमाल से दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

    लकड़ी और कोयले पर खाना तभी बनाना चाहिए जब इनमें अच्छी तरह से आग पकड़ जाए.

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