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    आखिर खजूर खाकर ही क्यों खोला जाता है रोजा, ये है जवाब

    रमजान का पाक महीना शुरू होने वाला है. इस पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 30 दिन रोजे रखते हैं. सेहरी के वक्त खाने के बाद पूरे दिन भूखे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इसके बाद शाम को गुरूब आफताब यानी सूरज छिपने के वक्त इफ्तार किया जाता है. यानी रोजा खोला जाता है.

    विधि

    रमजान का पाक महीना शुरू होने वाला है. इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 30 दिन रोजे रखते हैं. सेहरी के वक्त खाने के बाद पूरे दिन भूखे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इसके बाद शाम को गुरूब आफताब यानी सूरज छिपने के वक्त इफ्तार किया जाता है. यानी रोजा खोला जाता है.

    पर क्या आपने गौर किया है कि रोजा अक्सर खजूर खाकर ही खोला जाता है. इसके बाद दूसरी चीजें खाई जाती हैं और पानी पिया जाता है. तो हम आपको बताते हैं कि इफ्तार में खजूर खाने का कॉन्सेफ्ट कहां से आया और हेल्थ के लिहाज से यह कितना फायदेमंद है.

    डॉ. जुबैर फरीद का कहना है कि रोजा खोलने के वक्त कई लोग बहुत ज्यादा खाना खा लेते हैं. इससे कई सारी परेशानियां हो सकती हैं. ऐसे में खजूर खाने से शरीर को काफी ऊर्जा मिलती है. इससे भूख कम लगती है. खजूर में काफी मात्रा में फाइबर होता है, जो बॉडी के लिए जरूरी होता है. खजूर खाने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है. पूरे दिन कुछ न खाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, ऐसे में खजूर के सेवन से शरीर को ताकत मिलती है.
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    खजूर का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है, जिससे दिल की बीमारीयां होने का खतरा नहीं रहता है. साथ ही इसमें आयरन पाया जाता है, जो कि खून से संबंधित बीमारियों से निजात दिलाता है. इसके अलावा खजूर में पोटैशियम भारी मात्रा में होता है, वहीं सोडियम की मात्रा कम होती है, ये नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है.

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    एक रोजेदार मोहम्मद इमरान बताते हैं कि इफ्तार में खजूर खाना इस्लामी सुन्नत में शुमार होता है. मान्यता है कि पैगम्बर मोहम्मद रमजान के दिनों में खजूर से ही रोजा खोलते थे. वहां खजूर बहुतायत में पाया जाता है और इसकी पौष्टिकता को ध्यान में रखकर इसे इफ्तार में खाया जाता है. लोगों का मानना है कि इस्लाम अरब से शुरू हुआ था और वहां पर खजूर आसानी से उपलब्ध फल था. तभी से इफ्तार में खजूर खाने का चलन शुरू हुआ.

     

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