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    गांधी के सेवाग्राम के प्राकृतिक आहार केंद्र की क्या है खासियत

    सेवाग्राम महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है. इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्थापित किया था है. पहले इस गांव का नाम शेगांव था जिसका नाम गांधीजी ने बदलकर 'सेवाग्राम' रख दिया था.

    विधि

    सेवाग्राम महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है. इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्थापित किया था है. पहले इस गांव का नाम शेगांव था जिसका नाम गांधीजी ने बदलकर 'सेवाग्राम' रख दिया था.

    यह गांधी जी द्वारा स्थापित दूसरा आश्रम है. जब गांधी जी ने नमक सत्याग्रह के लिए साबरमती आश्रम से डांडी तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी, तब उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि जब तक वे भारत को आजाद नहीं करवा लेते, साबरमती आश्रम वापस नहीं लौटेंगे. इसी बीच वे दो साल के लिए जेल भी गए और वहां से निकलने के बाद गांधी जी 1934 में वर्धा आए. वहां के मशहूर उद्योगपति जमनालाल बजाज के कहने पर वे कुछ साल उनके यहां रहे और फिर अप्रैल 1936 में उन्होंने अपने दूसरे आश्रम सेवाग्राम की स्थापना की.

    पहले सेवाग्राम में किचन की अलग से कोई व्यवस्था नहीं थी. पर जब धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी तब गांधी जी ने अलग से एक किचन भी बनवाया. किचन और बैठकर खाने की जगह एक ही थी.

    आदी निवास के दक्षिण पूर्व में स्थित प्राकृतिक आहार केंद्र में पारंपरिक महाराष्ट्रियन खान-पान बनाया जाता है. खाना बिल्कुल सादा होता है और इनमें किसी भी तरह की कोई भी फैंसी यानी अलग सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यहां आज भी गांधी की बताई पाकशैली से खाना बनाया जाता है.

    संस्थान जो सेवाग्राम में प्राकृतिक आहार केंद्र चलाता है उसके द्वारा वहां ऑर्गेनिक अनाज, दाल, चीनी, शहद आदि की बिक्री भी की जाती है.

    इस आहार केंद्र में जो भी खाना परोसा जाता वो बिल्कुल शुद्ध ऑर्गेनिक चीजों से ही बना होता है. खाना बिल्कुल गर्मागर्म परोसा जाता है. सब्जियां ही नहीं बल्कि खाने में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल भी ऑर्गेनिक होता है. पेय में हर्बल चाय, कॉफी या कोई भी अन्य ड्रिंक फूलों से ही बनाई जाती है.

     Photo Credit: tripadvisor.in

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