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    क्या आप जानते हैं ओणम क्यों मनाया जाता है?

    केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था, जिसके आदर स्वरूप लोग ओणम का पर्व मनाते हैं. ओणम हर साल श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है. जिसमें लोग आपस में मिल-जुलकर खुशियां बांटते हैं.

    विधि

    केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था, जिसके आदर स्वरूप लोग ओणम का पर्व मनाते हैं. ओणम हर साल श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है. जिसमें लोग आपस में मिल-जुलकर खुशियां बांटते हैं.
    राजा महाबली के सम्मान में ओणम को हर साल अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है. मलयाली लोग जहां भी हों, वो इस पर्व को धूमधाम और खूब खानपान के साथ मनाते हैं. कहा भी जाता है कि जाता है कि भारत कई संस्कृतियों का जन्मदाता है. यहां लोग भिन्न-भिन्न तरह के त्योहार मनाते हैं और ऐसा ही एक त्योहार है ओणम, जो खासतौर पर केरल में मनाया जाता है, लेकिन इसकी धूम अन्य राज्यों में भी रहती है, इसे खेतों में फसल की उपज के लिए विशेष तौर पर मनाया जाता है. इस मौके पर केरल में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें से एक है नौका रेस.

    इस त्योहार की विशेषता यह है कि इसमें लोग मंदिरों में नहीं, बल्कि घरों में पूजा करते हैं. कहा जाता है केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था, जिसके आदर स्वरूप लोग ओणम का पर्व मनाते हैं. ओणम 10 दिन के लिए मनाया जाता है. इस दौरान सर्प नौका दौड़ के साथ कथकली नृत्य और गाना भी होता है. फसल पकने की खुशी में लोगों के मन में एक नई उमंग, नई आशा और नया विश्वास होता है. इसी खुशी लोग श्रावण देवता और फूलों की देवी का पूजन करते हैं.

    केरल में यह त्योहार बिलकुल दशहरे की तरह होता है, इसमें 10 दिनों के लिए घरों को फूलों से सजाया जाता है. ओणम हर साल श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है. जिसमें लोग आपस में मिल-जुलकर खुशियां मनाते हैं. केरल में इन दिनों चाय, अदरक, इलायची, काली मिर्च और धान की फसल पककर तैयार हो जाती है और लोग फसल की अच्छी उपज की खुशी में ये त्योहार मानकर आपस में खुशियां बांटते हैं.

     

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