आपको पढ़कर ये जरूर अटपटा लगेगा, लेकिन यही सच्चाई है कि भारत में सेंधा
नमक पाकिस्तान से आता है. सेंधा नमक का इस्तेमाल व्रत के आहार बनाने में
सबसे ज्यादा होता है. इस हिसाब से यह कहा जा सकता है कि हर वो भारतीय
पाकिस्तान का नमक खाता है जो व्रत रखता है. इसलिए भारत दूसरे देशों की
तुलना में पाकिस्तान से सबसे ज्यादा सेंधा नमक खरीददता है. पिछले 8 वर्षों
में भारत में लगभग 10 हजार टन सेंधा नमक का आयात हुआ.
विधि
आपको पढ़कर ये जरूर अटपटा लगेगा, लेकिन यही सच्चाई है कि भारत में सेंधा नमक पाकिस्तान से आता है. सेंधा नमक का इस्तेमाल व्रत के आहार बनाने में सबसे ज्यादा होता है. इस हिसाब से यह कहा जा सकता है कि हर वो भारतीय पाकिस्तान का नमक खाता है जो व्रत रखता है. इसलिए भारत दूसरे देशों की तुलना में पाकिस्तान से सबसे ज्यादा सेंधा नमक खरीददता है. पिछले 8 वर्षों में भारत में लगभग 10 हजार टन सेंधा नमक का आयात हुआ.
आखिर सेंधा नमक बना कैसे
इस बारे में जानकार बताते हैं कि जब भारतीय उपमहाद्वीप का उदय भी नहीं हुआ था. तब भारतीय उपमहाद्वीप पहले समुद्र में तैरता हुआ एक विशाल भूखंड था, जिसे हम 'गोंडवाना लैंड' के नाम से जाना जाता है. यह भू-भाग धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसकते हुए एशिया महाद्वीप से टकरा गया. जब यह भू-भाग टकराया तो इन दोनों के बीच में स्थित विशाल टैथिस महासागर लुप्त हो गया. उस सागर की जगह हिमालय पर्वत बन गया. इससे क्या हुआ कि टैथिस महासागर का खारा पानी हिमालय पर्वत की घाटी में भर गया. यहीं यह खारा पानी धीरे-धीरे रिसकर और बहकर सिंधु नदी में जाने लगा. जोकि हिमालय से निकली थी.
कैसे बढ़ा व्रत में सेंधा नमक खाने का महत्व
जानकारों और इतिहासकारों की मानें तो सिंधु नदी के किनारे जब सिंधु सभ्यता का विकास हुआ तो आर्यों ने सबसे पहले यहीं बसना पसंद किया. इसके बाद यहीं से पूरे भारतवर्ष में गए और बसावट की. इस सभ्यता के विकास के साथ ही साथ कर्मकांड और पूजा-पाठ, उपवास आदि का महत्व भी बढ़ता जा रहा था. यहां बसे ये लोग भोजन पकाने में सिंधु नदी के किनारे मिलने वाले स्वच्छ नमक का ही इस्तेमाल करते थे. यह नमक सीधे हिमालय के ग्लेशियरों से निकलता था.
यही परंपरा सैंकड़ों-हजारों सालों से आज तक चली आ रही है. हालांकि पाकिस्तान में सेंधा नमक की खदानें अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं जिन्हें पाक पर्यटन का केंद्र बन है.
किस रंग का होता है यह नमक
सेंधा नमक, सैन्धव नमक, लाहोरी नमक या हैलाईट (Halite) सोडियम क्लोराइड (NaCl), यानि साधारण नमक, का क्रिस्टल पत्थर-जैसे रूप में मिलने वाला खनिज पदार्थ होता है. यह अक्सर रंगहीन या सफ़ेद होता है, हालांकि कभी-कभी दूसरे पदार्थों के मिलने से इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, गुलाबी, नारंगी, पीला या भूरा भी होता है. भारतीय खाने में और चिकित्सा में हाज़मे के लिए इस्तेमाल होने वाला काला नमक भी एक प्रकार का सेंधा नमक ही है. 
(पाकिस्तान स्थित खेवरा सेंधा नमक माइन)
कैसे नाम पड़ा सेंधा नमक
हालांकि इस सवाल का जवाब बहुत सीधा-सा है. ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में सेंधा नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट जिले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं और जहां यह जमीन में मिलता है. 'सेंधा नमक' और 'सैन्धव नमक' का मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाके से आया हुआ'. पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहां से यह नमक मिलता है और इसी इलाके में प्रसिद्ध खेवड़ा नमक खान है. इस नमक को 'लाहोरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर लाहोर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था. जबकि भारत में सेंधा नमक का उत्पादन राजस्थान की सांभर झील में होता है, लेकिन यह इतनी मात्रा में नहीं होता है कि पूरे देश में इसकी आपूर्ति हो सके.
पाकिस्तान के किस हिस्से में होता है यह नमक का उत्पादन
पाकिस्तान स्थित क्षेत्र जैसे खेवरा, वारछा और कालाबाग में सबसे अच्छी किस्म का सेंधा नमक निकाला जाता है. अगर सेंधा नमक की माइंस की बात की जाए तो खेवरा स्थित सेंधा नमक की माइंस दुनिया में दूसरे नंबर पर आती है. यहीं पर प्रत्येक वर्ष 3.25 लाख टन रॉक सॉल्ट निकाला जाता है. जहां से करीब 2.5 लाख टन नमक केमिकल इंडस्ट्री को बेचा जाता है.