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    श्राद्ध पक्ष: ये है ब्राह्मणों को भोजन कराने का सही तरीका

    2 सितंबर से श्राद्ध शुरु हो रहे हैं. श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भोज के पहले इन बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है तभी पितरों का आशीर्वाद मिलेगा.

    विधि

    पितर पक्ष में श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मण भोजन का बहुत महत्व है. शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध वाले दिन पितृ स्वयं ब्राह्मण के रूप में उपस्थित होकर भोजन ग्रहण करते हैं. इसलिए प्रत्येक श्राद्धकर्ता को अपने पितरों के श्राद्ध के दिन घर में ब्राह्मण भोज अवश्य कराना चाहिए. श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भोज के पहले कुछ बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है तभी पितरों का आशीर्वाद मिलेगा.

    श्राद्ध के दिन लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की रसोई में बनाना चाहिए. इसमें उड़द की दाल के बड़े, दूध घी से बने पकवान, चावल की खीर, बेल पर लगने वाले मौसमी सब्जियां जैसी लौकी, तोरी, भिंडी, सीताफल और कच्चे केले की सब्जी ही बनानी चाहिए.

    मृत परिजनों के श्राद्ध में दूध, दही, घी का इस्तेमाल किया जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि दूध, दही, घी गाय का ही हो. वह भी ऐसी गाय का न हो जिसने हाल ही में बच्चा जना हो. कहने का आशय यह है कि गाय का बच्चा कम से कम 10 दिन का हो गया हो

    शास्त्रों में चांदी को श्रेष्ठ धातु माना गया है. श्राद्ध में ब्राह्मणों को चांदी के बर्तन में भोजन कराने से बहुत पुण्य मिलता है. चांदी को सबसे पवित्र और शुद्ध धातु माना गया है. इसमें भोजन कराने से समस्त दोषों और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. यदि चांदी के बर्तन में रखकर पिंड या पानी पितरों को अर्पण किया जाए तो वे संतुष्ट होते हैं. चांदी की थाली या बर्तन उपलब्ध न हो तो सामान्य कागज की प्लेट या दोने-पत्तल में भोजन परोस सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि भोज के दौरान ब्राह्मणों को भोजन दोनों हाथों से परोसने से भी पितर संतुष्ट होते हैं. एक हाथ से भोजन परोसने पर माना जाता है कि वह बुरी शक्तियों को प्राप्त होता है और पितर उसे ग्रहण नहीं करते.

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