हमारे देश में सभी देवी-देवताओं की पूजन विधि और विधान अलग-अलग हैं. जिस तरह से भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है, बजरंगबली को बूंदी का भोग लगाया जाता है. ठीक उसी तरह से भांग, धतूरा और बेलपत्र से शिवजी की पूजा करने का विधान है. मान्यता है महाशिवरात्रि के दिन अगर शिवजी प्रसन्न होते हैं तो भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं, लेकिन अगर सही ढंग से इस दिन भगवान शिव का पूजन न हो तो कृपा नहीं मिलती है.
उसी तरह से व्रत करने वाले भक्तों के लिए कुछ विधि-विधान बनें हैं जिनका पालन उन्हें अवश्य करना चाहिए. यहां हम बता रहे हैं कि व्रत रखने वाले भक्तों को कैसे पूजा-पाठ करनी चाहिए और कैसा खान-पान रखना चाहिए.
फलों और चाय का सेवन नहीं करना चाहिए
ऐसी मान्यता है कि व्रतधारियों को शिवरात्रि पर चावल, दाल और गेहूं से बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. ये भी कहा जाता है कि जो लोग शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं उन्हें फल, दूध, चाय, कॉफी आदि का भी सेवन करना चाहिए.
ऐसा होना चाहिए खान-पान
महाशिवरात्रि को देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. इस दिन का उपवास रखने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है. पंडित प्रवीण शर्मा की मानें तो कुछ लोग इस व्रत को निर्जला रखते हैं. वहीं कुछ भक्त फल और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं. व्रतधारियों को कुट्टू का आटा और सेंधा नमक, आलू, साबुदाना, आलू की सब्जी और साबुदाने से बनी व्यंजन ही खाना चाहिए. इन सभी चीजों को तेल के बजाय से घी से बनाना चाहिए.
ये चीजें शिवलिंग पर भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए
जिस तरह से खान-पान को लेकर कुछ चीजें वर्जित हैं. ठीक उसी तरह से शिवलिंग पर चढ़ावे को लेकर भी कुछ नियम हैं. जैसे शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए. इसके पीछे ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भक्त खुद को दुर्भाग्य के मुंह में प्रवेश कर जाते हैं.
वहीं अगर शास्त्रों की मानें तो कभी भी शिवलिंग पर तुलती अर्पित नहीं करनी चाहिए. तुलसी को भगवान विष्णु के लिए अर्पित करने के लिए विशुद्ध माना गया है, लेकिन शिवलिंग पर इसे अर्पित करना वर्जित है. शिव को चढ़ाने वाले पंचामृत में भी तुलसी दल का उपयोग नहीं करना चाहिए.
शिवजी को धतूरे का फूल, बेलपत्र, भांग का गोला मुख्यतौर पर चढ़ाया जाता है. इसके अलावा न ही शिवलिंग पर चंपा और केतली का फूल चढ़ाया जाता है और न ही हल्दी से अभिषेक किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने इन फूलों को शापित किया था, जिस वजह से इन फूलों का भोलेनाथ की पूजा में इस्तेमाल वर्जित है.