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    क्या होती है योगिक शैली, जानिए खान-पान के सरल और सही तरीके

    हमारा शरीर तब अच्छा काम कर पाता है जब इस इसको सही समय पर सही खाना और पानी मिलता रहे. अगर थोड़ा ध्यान रखकर खाना खाया जाए तो हमारा शरीर कई बीमारियों से बच सकता है और ज्यादा ऊर्जा के साथ काम कर सकता है.

    विधि

    हमारा शरीर तब अच्छा काम कर पाता है जब इस इसको सही समय पर सही खाना और पानी मिलता रहे. अगर थोड़ा ध्यान रखकर खाना खाया जाए तो हमारा शरीर कई बीमारियों से बच सकता है और ज्यादा ऊर्जा के साथ काम कर सकता है.
    इसी ऊर्जा को बनाए रखने के लिए खान-पान के कुछ नियम भी हैं. जिनका पालन बुजुर्ग लोग और सामूहिक भोज में किया जाता है. इन नियमों को सांस्कतिक और वैज्ञानिक दोनों शामिल हैं. भोजन करने की इस शैली को योगिक शैली कहा जाता है. आज हम ऐसे ही कुछ नियम लेकर आए हैं जिन्हें फौलो कर लिया जाए तो शरीर को तंदरुस्त रखा जा सकता है.

    कितनी बार खाएं इस पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी
    आपको पूरा दिन खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि हमारा शरीर और दिमाग तब ज्यादा अच्छा काम करते हैं जब पेट खाली होता है. अगर आप 30 साल से कम उम्र के हैं तो दिन में 3 बार खाना खाएं और अगर 30 से ज्यादा उम्र के हैं तो दिन में केवल दो बार खाना अच्छा होगा. जब भी खाना खाएं तो चौतन्य मन से खाएं जिससे भोजन तकरीबन ढाई घंटों के भीतर पेट की थैली से बाहर हो जाए और 12-18 घंटों में शरीर से बाहर हो जाए. बस इतनी सी बात को ध्यान में रखने से ही आप शरीर में ऊर्जा महसूस कर पाएंगे.

    ध्यान दें!
    भोजन को मुंह में डालकर सही तरह से चबा-चबाकर खाएं. इससे वह पाचन-पूर्व स्थिति में पहुंच जाता है और आपके शरीर में सुस्ती पैदा नहीं करता.

    पानी कब पीएं?
    भोजन करने के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए. भोजन करने के दौरान कुछ मिनट पहले थोड़ा-सा पानी पी लें. भोजन समाप्त करने के करीब 30-40 मिनट बाद पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है.

    सही समय पर सही आहार
    देश में किस मौसम में कौन-सी सब्जी उपलब्ध हैं और शरीर के लिए कौन-सी सब्जी अच्छी है यह जानना बहुत जरूरी है. इसी को ध्यान में रखते हुए गर्मियों में भोजन अलग तरह से बनाया जाता है, बरसात में अलग और सर्दियों में पकाने की विधि अलग होती है. जैसे कि सर्दियों में ठंडे शरीर को गर्मी पहुचाने के लिए तिल से बने पदार्थ खाए जाते हैं, गर्मियों में ठंडक के लिए तरबूज का सेवन किया जाता है. शरीर को मौसम के अनुसार अच्छा भोजन देना ही समझदारी है.

    संतुलित आहार
    डॉक्टरों का कहना है कि भारतीयों में शुगर की बीमारी बहुत बढ़ रही है. इसकी एक वजह यह है कि ज्यादातर लोग भोजन में बस एक ही आहार खाते हैं. जैसे कि सिर्फ चावल या सिर्फ गेहूं. भोजन में अलग-अलग अनाजों को शामिल करना शरीर के लिए बेहद जरूरी है. ऐसा करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है.

    पुराने जमानें में लोग चावल, सब्जी, फलियां, चने आदि सब खाते थे जो कि आज के समय में लोग नहीं खाते. आज किसी की थाली देखी जाए तो उसमें सिर्फ दाल और चावल होंगे या फिर सिर्फ रोटी और थोड़ी-सी सब्जी. आज हर कोई कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खा रहा है और बाकी सब कम जो कि सेहत पर सीधा असर डालता है.

    भोजन के बीच का अंतराल
    दो भोजनों के बीच तकरीबन 5 घंटों का अंतर होना जरूरी है. ऐसा करने से शरीर का मल उत्सर्जन तंत्र अच्छा काम करता है.

     


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