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    इस बर्तन में बनाएं शरद पूर्णिमा के लिए खीर, मिलेगा भरपूर लाभ

    शरद पूर्णिमा का खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खीर को चांदनी रात में रखकर खाने से बहुत लाभ होता है. खीर के लिए विशेष तरह के बर्तन का इस्तेमाल करने की भी मान्यता है. विद्वानों के अनुसार खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें. वहीं अगर उत्तम फल पाना है तो फिर इसे चांदी के बर्तन में बनाएं या फिर बनाकर उसमें खीर डालकर चांद की रोशनी में रखें.

    विधि

    शरद पूर्णिमा का खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खीर को चांदनी रात में रखकर खाने से बहुत लाभ होता है. खीर के लिए विशेष तरह के बर्तन का इस्तेमाल करने की भी मान्यता है. विद्वानों के अनुसार खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें. वहीं अगर उत्तम फल पाना है तो फिर इसे चांदी के बर्तन में बनाएं या फिर बनाकर उसमें खीर डालकर चांद की रोशनी में रखें.
    ज्योतिषाचार्य प्रवीण मिश्रा का मानना है कि चांदी धातु का संबंध चंद्रमा से जोड़कर देखा जाता है. खासकर मिट्टी और चांदी के बर्तन में खीर बनाने और रखने से अत्यंत लाभ मिल सकता है. शरद पूर्णिमा की रात को चांद रोशनी के नीचे खीर रखने को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन से मौसम में परिवर्तन होता है और शीत ऋतु की शुरुआत होती है. इस दिन खीर खाने को माना जाता है कि अब ठंड का मौसम आ गया है इसलिए गर्म पदार्थों का सेवन करना शुरू कर दें. ऐसा करने से हमें ऊर्जा मिलती है.
    आयुर्वेदिक फायदे
    शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. इसका चांदनी(रोशनी) से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है. दशहरे से शरद पूर्णिमा तक रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए. यह काफी लाभदायक है. साथ ही चांदनी रात में त्राटक करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी. वैद्य लोग अपनी जड़ी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनाते-पीसते हैं जिससे यह रोगियों को दुगुना फायदा दें.
    (तो इस वजह से श्रीकृष्ण को लगाया जाता है माखन मिश्री भोग)

    क्या कहता है रिसर्च
    वहीं रिसर्च की मानें तो दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है जो कि किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है. इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है. यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है. शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए. चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है. इससे विषाणु दूर रहते हैं. (केसरिया शाही खीर)

    धर्मग्रंथों में क्या है मान्यता
    धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन श्री कृष्ण गोपियों के साथ रास लीला भी करते हैं. साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती हैं यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है. उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है. इसीलिए इस दिन सभी लोग जागते हैं जिससे कि मां की कृपा उनपर बरसे और उनके घर से कभी भी लक्ष्मी न जाएं.
    शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima, Kojagari Purnima Muhurat And Puja Timing)
    शरद पूर्णिमा तिथि: रविवार, 13 अक्‍टूबर 2019
    पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से
    पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक
    चंद्रोदय का समय: 13 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट

    (खीर से जलने की गंध आए तो...)

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