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    ऐसी है खट्टे-मीठे दही वड़े की रोचक कहानी

    दही वड़े का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. शादी या पार्टी में दही न बनें ऐसा हो ही नहीं सकता है. खासतौर पर पंजाबी या नॉर्थ इंडिया के तीज-त्योहार में यह खट्टा-मीठा पकवान तो बनता ही है. इसे बच्चे से लेकर बड़े तक चाव से खाते हैं. आसानी से बनने वाले इस दही वड़े के उद्भव की कहानी भी रोचक है.

    विधि

    दही वड़े का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. शादी या पार्टी में दही न बनें ऐसा हो ही नहीं सकता है. खासतौर पर पंजाबी या नॉर्थ इंडिया के तीज-त्योहार में यह खट्टा-मीठा पकवान तो बनता ही है. इसे बच्चे से लेकर बड़े तक चाव से खाते हैं. आसानी से बनने वाले इस दही वड़े के उद्भव की कहानी भी रोचक है.

    खान-पान के जानकारों के अनुसार दही वड़े या दही बड़े भारतीय उपमहाद्वीप की ही देन है और पूरे दक्षिण एशिया में बड़े चाव से खाया जाता है. तुअर के दाल से बना वड़ा जहां काफी स्वादिष्ट होता है. वहीं दही को पाचन तंत्र के लिए अच्छा माना जाता है.

    12 वीं सदी से खा रहे हैं लोग
    अगर दही वड़े के इतिहास में जाएं तो यह 12 वीं शताब्दी में कर्नाटक के राजा सोमेश्वर तृतीय द्वारा रचित ग्रंथ 'मनसोल्लास' में इसका वर्णन 'क्षीरवड़ा' के नाम से मिलता है. यह स्वादिष्ट व्यंजन जितना रंगीन होता है इसके नाम भी अलग-अलग हैं. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक इसका स्वाद अलग-अलग होता है. उर्दू में दही बड़े, पंजाबी में दही भल्ला, तमिल में थायिर वड़ाई, मलयालम में थायरु वड़ा और तेलुगू में पेरुगु वड़े के नाम से फेमस है. दही बड़े से थोड़े अलग दही भल्ले होते हैं. भल्लों में पपड़ी, तले आलू और चने का इस्तेमाल किया जाता है जो इसे एक नया स्वाद देते हैं. जबकि दही वड़ों को दही के साथ कुछ मिर्च-मसालों के साथ परोसा और खाया जाता है.

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    कैसे बनाते हैं इसे
    वड़े को तलने के बाद नमक मिले गुनगुने पानी में डाला जाता है. इसके बाद गाढ़े दही में डुबोया जाता है. धनिया या पुदीने की पत्तियां, लाल मिर्च पाउडर, पिसी काली मिर्च, चाट मसाला, जीरा, नारियल का बूरा छिड़कर इसे लजीज बनाया जाता है. कई राज्यों में मीठे दही के साथ भी इसे खाया जाता है. महाराष्ट्र और गुजरात में तो मीठी दही वाले दही बड़े ही ज्यादा चलते हैं. वहीं कई राज्यों में इमली की चटनी इसमें जरूर डाली जाती है.

    स्वाद में अलग होता है उत्तर भारत का दही वड़ा
    अन्य राज्यों से इतर उत्तर भारत में खाया जाने वाला वड़ा दक्षिण भारत से थोड़ा अलग होता है. उत्तर भारत में इसका स्वाद बढ़ाने के लिए हरी चटनी, सोंठ या इमली की चटनी डाली है तो वहीं दक्षिण में यह नारियल और हरी मिर्च के पेस्ट के साथ खाया जाता है.

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    दही भल्ला और पापड़ी भी है फेमस
    नॉर्थ इंडिया में दही पकौड़े, दही भल्ला, दही पापड़ी और दही गुझिया भी खूब खाई जाती है. वड़े को इडली, सांभर आदि के साथ भी परोसा जाता है. वड़े की वैरायटी में मेदुवड़ा काफी फेमस है. कन्नड़ में मेदु का अर्थ होता है 'मुलायम' और वड़ा का अर्थ है टिकिया. सबसे पहले कर्नाटक के मद्दुर में मेदुवड़ा बनाया गया था.

     

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