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    अच्छा! तो इसलिए गुजराती हर खाने में डालते हैं मीठा

    हमारा देश अलग-अलग संस्कृतियों की वजह से जाना है. जहां अलग-अलग संस्कृति हैं वहीं खास पकवान भी हैं जो देश की शान भी हैं. जिस तरह नॉर्थ इंडिया का खाना थोड़ा मसालेदार और ज्यादा तेल वाला होता है. वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में मांस-मछली और मिठाइयों का क्रेज है. जबकि अगर दक्षिण भारत के खाने का जिक्र किया जाए तो वहां का ज्यादातर खाना नारियल के तेल से पकाया जाता है और चावल से ज्यादातर पकवान बनते हैं. यहां के खाने में मसाला काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है.

    विधि

    हमारा देश अलग-अलग संस्कृतियों की वजह से जाना है. जहां अलग-अलग संस्कृति हैं वहीं खास पकवान भी हैं जो देश की शान भी हैं. जिस तरह नॉर्थ इंडिया का खाना थोड़ा मसालेदार और ज्यादा तेल वाला होता है. वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में मांस-मछली और मिठाइयों का क्रेज है. जबकि अगर दक्षिण भारत के खाने का जिक्र किया जाए तो वहां का ज्यादातर खाना नारियल के तेल से पकाया जाता है और चावल से ज्यादातर पकवान बनते हैं. यहां के खाने में मसाला काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है.

    इसके मुकाबले महाराष्ट्र और गुजरात में जो भी दाल और सब्जियां बनती वे थोड़ा-सा मीठी होती हैं. इसी से लोगों के दिमाग में ये भ्रम बना हुआ है कि गुजरातियों के हर खाने में मीठा डाला जाता है. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. किसी भी राज्य या स्थान विशेष का खाना वहां भौगोलिक की परिदशा की वजह से होता है. जैसे राजस्थान में ज्यादा तीखा खाना बनाया जाता है. इसके पीछे ऐसा माना जाता है कि वहां भूमि रेतीली है और लोगों को सफर के दौरान ज्यादा प्यास न लगे. इसलिए तीखा खाने के बाद या बाजरे, मक्के के अनाज की चीजें खाने के बाद दमभर पानी पीकर सफर पर निकला जाए. ऐसा करने से जल्दी प्यास नहीं लगती.

    ठीक उसी तरह से गुजरात समुद्री तट पर है, जिसके चलते वहां का पानी खारा (नमकीन) होता है. खारे पानी से बने भोजन का स्वाद थोड़ा खारा होता है. इसके समाधान स्वरूप गुजराती लोग खाने में चीनी या गुड़ डालते हैं. गुजरात में तापमान सामन्य रूप से अधिक होता है, इसलिए खाने में मीठा होने से डिहाइड्रेशन कि समस्या से भी छुटकारा मिलता है. गुड़ या चीनी भोजन को मीठा बनाने नहीं बल्कि खारे पानी को बैलेंस करने के लिए ही डाला जाता है.

    गुजरात काफी हिस्सा तटीय क्षेत्र में आता है. इससे वहां मछलियों की आपूर्ति में भी कोई कमी नहीं है. यहां बाकायदा मछली पकड़ने और बेचने का कारोबार भी चलता है, लेकिन इस राज्य में ज्यादातर लोग जैन धर्म का पालन करने वाले हैं. इसलिए वे मांसाहारी भोजन पसंद नहीं करते हैं. गुजराती शाकाहारी खाना पकाने की कला में माहिर हैं. इसलिए यहां के व्यंजन शाकाहारी और सरल होते हैं. जिन्हे ज्यादातर दाल और अनाज का प्रयोग करके बनाया जाता है. सरल सामग्रियों से यहां बेहतरीन और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. हींग गुजराती भोजन का एक अभिन्न अंग है. इसलिए वे दाल या सब्जी में हींग का तड़का जरूर लगाते हैं. यहां के व्यंजनों में काफी विविधता भी देखने को मिलती है. अगर एक सामान्य गुजराती थाली की बात की जाए तो इसमें गेहूं के आटे या बाजरे के आटे से बनी रोटी (रोटला) या ब्रेड, एक सब्ज़ी, दाल, चावल, कढ़ी और एक गिलास छाछ और एक मिठाई जरूर शामिल होगी. ऐसा भी नहीं है कि गुजराती हर खाने में मीठा डालते हैं. अगर दाल, कढ़ी और सब्जी को छोड़ दिया जाए तो फाफड़ा, ढोकला, थेपला, खाखरा, मुठिया बढ़िया मसालेदार चीजें भी हैं.

    अपने खास स्वाद की वजह से गुजराती खाना देश ही नहीं विदेशों में भी मिलता है. खाखरा और थेपला बहुत हेल्दी होते हैं. इनमें पोषण के सभी तत्त्व जैसे कार्बोहाइड्रेट्स्, प्रोटीन्स, फैट्स्, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं. इसी वजह से ये विदेशों में भी दुकानों में आसानी से मिल जाते हैं. दूसरी बात यह भी हो कही जा सकती है कि विदेश में जहां भी गुजराती लोग हैं वो अपने पारंपरिक पकवानों का स्वाद लेना नहीं भूलते. कई लोग तो सिर्फ भोजन के व्यापार के लिए विदेशों में सेटल हैं. इसीलिए गुजराती पकवान विदेशों तक पहुंचे हैं.

    ये हैं कुछ खास गुजराती पकवान, जिनसे है गुजरात की पहचान

    ढोकला- बेसन से बनी यह चीज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फेमस है. इसके स्वाद की वजह से इसे उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में भी काफी पसंद किया जाता है. इस मीठे, तीखे और नमकीन स्वाद वाले पकवान को दिन के किसी भी वक्त खाया जाता है, लेकिन गुजराती लोग इसे ब्रेकफास्ट में खाना पसंद करते हैं.

    अमीरी खमण- अमीरी खमण एक तीखा चटपटा चाय के साथ सर्व करने वाला पकवान है. खमण ढोकले में लहसुन, अनार दाना और नारियल का तड़का लगाकर बनाया जाता है. फिर अनार के दानों से गार्निश कर परोसा जाता है.

    दाल ढोकली - यह खाने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए काफी पौष्टिक मानी जाती है. इसे दाल और आटे से तैयार किया जाता है. मालवा में भी यह काफी पसंद की जाती है. साथ में आम का अचार और घी इसका स्वाद और भी बढ़ा देते हैं.

    गाठिया- चाय के साथ अगर गुजरात में कुछ परोसा जाता है तो वह गाठिया है. इसे बनाना भी बेहद आसान है और स्वाद में लाजवाब भी है.

    गुजराती दाल- गुजरातियों के बीच यह खट्टी-मीठी गुजराती दाल बहुत पसंद की जाती है. वैसे तो यह रोज बनाई जाती है. मगर जब भी इसे किसी खास अवसर के लिए बनाया जाता है तो इसमें मूंगफली और सूरन जरूर मिलाया जाता है.

    गुजराती कढ़ी- गुजराती कढ़ी एक सिंपल डिश है जिसे बनाने के लिये ज्‍यादा सामग्री की आवश्‍यकता नहीं पड़ती. गुजराती कढ़ी में डाला जाने वाला तड़का इसे खास बना देता है.

    मोहनथाल- वैसे तो गुजरात के सभी खानों में थोड़ा मीठापन होता ही है, लेकिन गुजरात की असली मिठास का लुत्फ लेना है तो मोहनथाल जरूर खाएं. यह एक तरह की बेसन की बर्फी होती है, लेकिन इसमें भरपूर मात्रा में ड्राईफ्रूट्स डाले जाते हैं.

    मेथी थेपला- थेपला पराठों के जैसे बनाई जाती है. थेपला बनाने में किसी भी तरह की हरी पत्ती का उपयोग कर सकते हैं. थेपला मेथी, पालक आदि से बनाए जा सकते हैं.

    श्रीखंड- श्रीखंड एक तरह का मीठा पकवान है जो दही और चीनी से बनाया जाता है. हालांकि इसे बनाने में थोड़ी मेहनत लगती है, लेकिन इसका स्वाद मुंह में घुल-सा जाता है. यह गर्मियों में खूब खाया जाता है.

    खांडवी- बात गुजरात की हो और खांडवी का नाम न आए ऐसा हो सकता है क्या. खांडवी गुजरात में ब्रेकफास्ट में खूब पसंद की जाती है. इसमें तेल कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता जिस वजह से यह हेल्दी भी होती है.

    फाफड़ा- बेसन में कुछ मसाले मिलाकर गूंदा जाता है. फिर इसकी छोटी-छोटी लोइयां लेकर पतला बेल लिया जाता है या फिर हथेली की मदद से चकले पर लंबाकर फैला दिया जाता है फिर इसे तेल में तल जाता है. फाफड़े को चटनी और जलेबियों के साथ परोसा जाता है.

    ओसामन- पानी जैसी पतली, पर स्वाद और पोषण से भरी गुजरात की एक डिश है. यह खाने के बाद पी जाती है. जिससे खाना आसानी से पच जाए.

     

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