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    35 की उम्र में ये सब खाते हुए बॉक्सर बने मुक्काबाज के विनीत सिंह

    फिल्म मुक्काबाज को लेकर इन दिनों एक्टर विनीत कुमार सिंह सुर्खियों में हैं. इस फिल्म में लीड रोल के लिए जितनी मेहनत विनीत ने की है शायद ऐसी मेहनत अब तक किसी ने नहीं की होगी. मुक्काबाज में उनकी मसल्स, ऐब्स और फिजिक के सभी दीवाने हो गए हैं. ऐसी बॉडी विनीत ने एक साल तक रोजाना 5-6 घंटे की कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग के बाद बनाई है. इसके लिए वो जितनी कड़ी ट्रेनिंग करते थे उससे कहीं ज्यादा खाने पर ध्यान देते थे. पकवानगली से खास बातचीत में विनीत सिंह ने अपनी डाइट और ट्रेनिंग के बारे में बताया. साथ ही यंग जनरेशन के बॉक्सर को सीख भी दी है और उन्हें भोजन करने का सही तरीका भी बताया है.

    फिल्म मुक्काबाज को लेकर इन दिनों एक्टर विनीत कुमार सिंह सुर्खियों में हैं. इस फिल्म में लीड रोल के लिए जितनी मेहनत विनीत ने की है शायद ऐसी मेहनत अब तक किसी ने नहीं की होगी. मुक्काबाज में उनकी मसल्स, ऐब्स और फिजिक के सभी दीवाने हो गए हैं. ऐसी बॉडी विनीत ने एक साल तक रोजाना 5-6 घंटे की कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग के बाद बनाई है. इसके लिए वो जितनी कड़ी ट्रेनिंग करते थे उससे कहीं ज्यादा खाने पर ध्यान देते थे. पकवानगली से खास बातचीत में विनीत सिंह ने अपनी डाइट और ट्रेनिंग के बारे में बताया. साथ ही यंग जनरेशन के बॉक्सर को सीख भी दी है और उन्हें भोजन करने का सही तरीका भी बताया है. 

    विनीत बताते हैं कि मैंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग जीरो से शुरू की थी. इसलिए मुझे दूसरे बॉक्सर की तुलना में ज्यादा वर्क आउट करना पड़ा. मैंने 35 की उम्र में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली, इस उम्र में बॉक्सर बॉक्सिंग छोड़ देते हैं. तो मुझे शुरुआत से ही स्पीड और स्टैमिना बढ़ाने पर काम करना था. कार्डियो करने के लिए कार्ब्स के साथ ही वेट गेन करना था. इस लिहाज से मैं खूब खाता था. स्वीट पोटैटो, ड्राईफ्रूट्स, फल और 5-6 अंडे, चिकन, फिश, दाल और कम से कम एक थाली सलाद खाने में शामिल करता था.
    सुबह की पहली ट्रेनिंग के वक्त उबले शकरकंद में थोड़ा-सा नमक, नींबू का रस डालकर खाता था. इसके साथ ही 5-6 अंडे का सफेद भाग और फल खाता था. ट्रेनिंग कंप्लीट करने के बाद ड्राईफ्रूट्स, जूस और कुछ फल खाता था.
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    मेरा मानना है कि जितने नैचुरल तरीके से आप खाना खाएंगे उतना ही ज्यादा वह आपकी बॉडी के लिए अच्छा होता है. चूंकि मैं खुद भी आयुर्वेद में एमडी हूं तो इस बात को अच्छी तरह जानता था कि खाने को पचाने के लिए क्या-क्या करना चाहिए. इसलिए मैं खाना, खासतौर से सालाद खाने में 15 मिनट से भी ज्यादा लगा देता था. अच्छी तरह चबा-चबाकर खाता था ताकि जो मैं खा रहा हूं उसे आसानी से पचा भी सकूं और इन चीजों से मुझे भरपूर कैलोरी मिले. वहीं लंच में मेरी डाइट में चिकन, 2 चपाती, मूंग की दाल या फिर मिक्स दाल जरूर होती थी. खास चीज ये थी कि दाल में हमेशा कोई न सब्जी डलवाता था. इसमें लौकी, पालक, सहजन और दूसरी हरी सब्जियां होती थीं. दाल में लहसुन और जीरे का तड़का जरूर होता था क्योंकि लहसुन शरीर को गर्म रखने में बहुत अच्छा काम करता है. हां, जिस दिन चपाती खाने का मन नहीं होता था उस दिन ब्राउन राइस खाता था. खीरा, ककड़ी, गाजर, ब्रॉकली का भरपूर इस्तेमाल मैं सलाद के रूप में करता था. विनीत बताते हैं कि आप यकीन नहीं करेंगे कि मेरा सलाद एक कटोरी नहीं बल्कि एक थाली होता था और मैं आराम से चबा-चबाकर इसे मजे से खाता था. क्योंकि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो गैस और एसिडिटी की प्रॉब्लम हो सकती थी.

    शाम की ट्रेनिंग के पहले ऐसी होती थी डाइट
    शाम की ट्रेनिंग के पहले मैं 6 अंडे, इसमें एक अंडे का पीला भाग और बाकी का व्हाइट हिस्सा खाता था. ब्राउन ब्रेड और सुबह का बचा स्वीट पोटैटो खाकर ट्रेनिंग के लिए जाता था. मुझे इस वक्त कार्डियो करना होता था जिसमें बहुत सारी कैलोरी बर्न करनी होती थी. इस दौरान में मैं बाइसेप और ट्राईसेप पर काम करता था. मैं हमेशा वेट कम रखता और रिपीटिशन ज्यादा देर तक करता था. मैं 2400 रोजाना पुशअप मारता था. शाम की ट्रेनिंग खत्म करने के बाद थोड़ी देर रेस्ट करता था फिर 4-5 अंडे और फ्रूट्स खाता इसमें केले और मौसमी फल होते थे. ये सब खाने के बाद में स्वीमिंग करने जाता था. क्योंकि स्वीमिंग भी एक तरह से कार्डियो एक्सरसाइज ही है तो इसमें काफी मात्रा में कैलोरी चाहिए होती थी.

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    रात को प्रोटीन वाली डाइट और आराम
    स्वीमिंग से आने के बाद मैं आराम करता था. फिर रात में बॉइल्ड फिश और सलाद खाकर सो जाता. हां, एक चीज खास थी वो यह है कि मैं हर एक ट्रेनिंग के पहले शॉवर जरूर लेता था. इससे शरीर का तापमान मेंटेन होता था. यह सिलसिला तकरीबन 5-6 महीने तक चला. इसके बाद मैंने कॉर्ब्स कटिंग के लिए डाइट शुरू की. लंच और डिनर में बॉइल्ड फिश, ड्राईफ्रूट्स, दाल जिसमें सब्जियों मिली होती थीं. दिन में दो बार जूस जरूर पीता था. इके बाद मैं प्रोटीन डाइट की ओर बढ़ा.
    विनीत यंग जनरेशन को लेकर कॉफी पॉजिटिव हैं. उनका मानना है कि सिर्फ अच्छी फिटनेस के लिए अच्छा वर्कआउट ही जरूरी नहीं है, बल्कि इसके लिए एक बैलेंस्ड डाइट भी बहुत जरूरी है. क्योंकि हर खिलाड़ी का वर्कआउट अलग होता है और उस हिसाब से डाइट अलग-अलग होती है. इसलिए डाइट, वर्क आउट, लाइफस्टाइल को अच्छा रखें. सही से नींद लें और खुद को शांत रखें. नैचुरल तरीके से खाना खाएं. स्ट्रेचिगं करें और बहुत जरूरी है कि जिस किसी को देखकर बॉडी बनाना चाहते हैं सिर्फ उसके वर्क आउट को ही फॉलो न करें बल्कि उसकी डाइट और लाइफस्टाइल को भी फॉलो करें तभी आप असली 'मुक्काबाज' बन सकते हैं.

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