विधि
चाइनीज खाना एकदम सादा और हेल्दी होता है. यह भारत और अमेरिका में मिलने वाले चाइनीज फूड से बिल्कुल अलग होता है. भारत में चाइनीज फूड में तड़का लगाकर स्पाइसी बना दिया जाता है जबकि चीन के किसी भी खाने में तड़का नहीं लगता है. चाइनीज खानों में भारत की तरह ही बहुत ज्यादा वैरायटी है. चीन अपनी चाय के लिए भी प्रसिद्ध है, जोकि भारतीय दूध वाली चाय से काफी अलग होती है. चीनी चाय मे कई फ्लेवर होते हैं, जैसे जैसमीन चाय, उलोंग चाय, फीनिक्स टी आदि. चीनी बीयर भी बहुत फेमस है. ताइवान बीयर, सिंगताओ बीयर, यानचिंग बीयर बहुत ब्रैंड्स में से हैं.
चाइनीज नूडल्स, मोमोज, फ्राइड राइस, चिली पनीर और पास्ता के अलावा हम बहुत कम चाइनीज खाने के बारे में जानते हैं. जैसे चीन के मशहूर चाओत्ज के बारे में तो हमने सुना तक नहीं था.
दरअसल, चाओत्ज चीनी संस्कृति का एक भाग है. चाओत्ज चीन का सबसे मशहूर खाना है. चीन में ऐसा माना जाता है कि घर में चाओत्ज खाने से पूरे परिवार का मिलन होता है. अतिथियों के सत्कार में भी चाओत्ज खिलाया जाता है. अगर कोई विदेशी चीन में रहकर चाओत्ज खाए बिना वापस लौटे, तो इस का चीन में रहना बेकार बताया जाएगा.

कैसे होता है चाओत्ज
चाओत्ज ऐसा भोजन है, जो समोसे की तरह होता है, जिसमें मांस या सब्जी की स्टफिंग की जाती है. फिर समोसे की तरह बंद कर पानी में उबाला जाता है. समोसे और चाओत्ज में सिर्फ इतना अंतर है कि समोसे को तेल में तला जाता है जबकि चाओत्ज को पानी में उबालकर पकाया जाता है. पहले चाओत्ज आम तौर पर त्योहार का खाना होता था, लेकिन आज यह एक आम भोजन हो गया है. चीनी नव वर्ष की पूर्व संध्या पर चीन के हरेक घर में चाओत्ज खाने का रिवाज है. चीनी परंपरा में चाओत्ज बनाने और खाने के कुछ नियम भी हैं. जिन्हें हर चीनी मान्यता है.
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कैसे तैयार होती है चाओत्ज की स्टफिंग
चाओत्ज में चिकन या सब्जी दोनों की स्टफिंग की जाती है. जबकि आमतौर पर मांस और सब्जी का मिश्रण इसमें भरा जाता है. चाओत्ज में भरे जाने वाली इस सामग्री को बनाने का हुनर आना चाहिये. मांस, सब्जी और कुछ मसालों को मिलाकर इसकी स्टफिंग तैयार की जाती है. इसे बनाने के लिए चिकन या मटन को कीमा तैयार किया जाता है. मांस आदि को लकड़ी के फट्टे पर रखकर चाकू से इसका कीमा बनाया जाता है. चाकू से कीमा बनाते समय ठक-ठक आवाज पैदा होती है, उसे सुनने के बाद पड़ोसी भी जान जाते हैं कि किसी के घर में चाओत्ज बनाया जा रहा है. अगर किसी घर में चाओत्ज कीमा बनाने की आवाज बुलंद है, तो इससे परिवार की संपन्नता जाहिर होती है. इसलिए पुराने काल में चीनी लोग चाओत्ज के लिए कीमा के काम को बहुत महत्व देते थे. लेकिन आधुनिकता ने इसे अब बदल दिया है. अब कीमा मशीन से तैयार कर लिया जाता है.

ऐसा होता है चाओत्ज का शेप
चाओत्ज का विशेष आकार होता है जिस का विशेष अर्थ है. आम तौर पर चाओत्ज का आकार अर्द्धचन्द्राकार होता है. चाओत्ज बनाते समय मैदे की छोटी गोल लोई बनाकर इसमें भरने वाली सामग्री रखी जाती है, फिर इसे बंद करके अर्द्धचंद्राकार की तरह बनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में चाओत्ज को प्राचीन चीनी सिक्के के आकार का भी बनाया जाता है. ऐसा चाओत्ज बनाकर लकड़ी के फट्टे पर रखा जाता है जिस से संपन्नता का अर्थ जाहिर होता है. कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चाओत्ज के किनारों को गेहूं की बालियों की तरह बनाते हैं. ऐसा करने से किसानों की नए साल में अच्छी फसल होने की उम्मीद रहती है.

ऐसे पकाया जाता है चाओत्ज
चाओत्ज बनाकर इसे पानी में उबाला जाता है. चाओत्ज़ को कूकर के पानी में उबाल आने के बाद ही डाला जाता है. फिर कड़छी से कूकर में बार-बार चलाते रहना पड़ता है, नहीं तो चाओत्ज कूकर की तली से चिपक सकती है. कूकर में पानी उबलने के बाद भी इस में दो-तीन बार ठंडा पानी डालना जाता है. 10 मिनट बाद चाओत्ज पक जाता है. पुराने समय में चाओत्ज खाने के भी विशेष तरीके होते थे. लोग चाओत्ज खाने से पहले पहले कटोरे की चाओत्ज को पूर्वजनों के सम्मान में चढ़ाते थे. दूसरे कटोरे की चाओत्ज को रसोईघर के देवता आदि के सम्मान में रख दिया जाता था. पुराने समय में कुछ क्षेत्रों में चाओत्ज खाते समय कविता सुनाने का भी रिवाज़ था.
स्वर्ण कटोरा , चांदी का कटोरा,
इन में चाओत्ज़ भरो,
देवता खाकर खुश हो,
साल भर शांति रहे.
पूर्वजों और देवताओं का सम्मान करने के बाद ही लोग चाओत्ज खाना शुरू करते थे. चीनी परंपरा के मुताबिक दो कटोरे चाओत्ज़ खाना अच्छी बात है, एक कटोरा नहीं. इसलिए चाओत्ज खाते समय हिसाब रखने की जरूरत है. इसलिए कूकर, कटोरे और चाओत्ज रखने वाले फट्टे पर रखे जाने वाले चाओत्ज की सम संख्या होनी चाहिए.
(यहां मिलेगा असली चाइनीज का स्वाद)
पहले जैसा नहीं अब चाओत्ज खाने का क्रेज
चीनी पंचांग के मुताबिक साल के अंतिम दिन यानी नव वर्ष की पूर्व संध्या को चाओत्ज खाना पड़ता है. बाहर रहने वाले लोगों को इस दिन से पहले ही घर वापस लौटना होता है. अपने सभी परिजनों के साथ बैठकर चाओत्ज खाना होता है, लेकिन आधुनिक समय में चाओत्ज खाने का सिर्फ सांस्कृतिक अर्थ मौजूद रह गया है. चाओत्ज खाने के बहुत से परंपरागत तरीकों में बदलाव आ गया है. आज चीन के शहरों में लोग खुद कम चाओत्ज बनाते हैं. जब वे चाओत्ज खाना चाहते हैं तो वे या सुपर बाजार में डीपफ्रीज में रखी चाओत्ज खरीदने जाते हैं, या फिर रेस्तरां में चाओत्ज खा लेते हैं. आज के समय में चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में भी चाओत्ज खाने का क्रेज कम हो गया है. एक तरह से यह भी कहा जा सकता है चाओत्ज अब मोमोज हो गया है.
(ये है मोमो के मोमोज बनने की कहानी...)