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    जानिए छठ पर्व में क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य?

    छठ पूजा (Chhath puja 2018) का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को दिया जाता है. जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने की परंपरा छठ व्रतधारी निभाते हैं. अब सवाल उठता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?

    छठ पूजा (Chhath puja 2018) का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को दिया जाता है. जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने की परंपरा छठ व्रतधारी निभाते हैं. अब सवाल उठता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?
    इसके पीछे मान्यता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य (chhath aragh) उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से विशेष तरह के लाभ होते हैं. इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है. लम्बी आयु मिलती है और आर्थिक सम्पन्नता आती है. इस समय का अर्घ्य विद्यार्थी भी दे सकते हैं. इससे उनको शिक्षा में भी लाभ की संभावना बढ़ जाती है. इस बार छठ का पहला अर्घ्य 13 नवंबर को दिया जाएगा. यानी मंगलवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की पूजा होगी.

    अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य क्यों?
    - ऐसी मान्यता है कि सूर्य मुख्य रूप से तीन समय विशेष प्रभावशाली होता है - प्रातः , मध्यान्ह और सायंकाल.
    - प्रातःकाल सूर्य की आराधना करने से स्वास्थ्य को बेहतर होता है.
    - दोपहर की आराधना नाम-यश देती है.
    - सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है.
    - अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है.
    - जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए.

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    कौन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दे सकता है?
    - जो लोग बिना कारण मुकदमे में फंस गए हों.
    - ऐसे लोग जिनका कोई काम सरकारी विभाग में अटका हो.
    - जिन लोगों की आंखों की रौशनी घट रही हो.
    - जिन लोगों को पेट की लगातार समस्या रहती हो.
    - जो विद्यार्थी बार-बार परीक्षा में असफल हो रहे हों.
    - जो कोई लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो, उसकी कुशलता के लिए अर्घ्य देना चाहिए.

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    क्या हैं छठ व्रत (Dala chhath) के समापन के नियम और सावधानियां?
    - छठ व्रत धारी को व्रत का समापन नींबू पानी पीकर करना चाहिए.
    - व्रत के समापन के तुरंत बाद अनाज और भारी नहीं खाना चाहिए.
    - अंतिम अर्घ्य के बाद लोगों में प्रसाद जरूर बांटना चाहिए.
    - साफ-सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए. नदी-तलाब को गंदा नहीं करना चाहिए.

    छठ का पर्व (Chhath Parv) कल्याणकारी माना जाता है, लेकिन हर किसी के लिए ये व्रत रख पाना मुमकिन नहीं हो पाता. ऐसे लोग कुछ उपाय करके भी लाभ पा सकते हैं.

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    - छठ पर्व के दौरान पूरी सफाई और सात्विकता बरतनी चाहिए.
    - छठ व्रतधारी की सेवा और सहायता करने से लाभ मिलता है.
    - गुड़ और आटे की विशेष मिठाई 'ठेकुवा' छठी मैया को चढ़वाकर लोगों में बांटना चाहिए.
    - इन ठेकुओं को गरीबों और बच्चों में बांटने से लाभ मिलने की प्रबल संभावना होती है.
    - छठ के दोनों ही अर्घ्य जरूर दें और सूर्य देव से कुशलता की प्रार्थना करें.
    - छठ का व्रत रखने वाले लोगों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना श्रेष्ठ माना जाता है.
    ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अगर सही नियम और सच्ची श्रद्धा से कार्तिक की छठ (Dala Puja) का व्रत रखा जाए तो परिणाम भी चमत्कारी होते हैं. धन, ऐश्वर्य और आरोग्य बरसाने वाला है छठ का ये महाकल्याणकारी व्रत.

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    अर्घ्य (Chhath arghya) से कैसे पूरी होंगी मनोकामनाएं?
    - शिक्षा और एकाग्रता के लिए - जल में नीला या हरा रंग मिलाकर अर्घ्य दें.
    - सेहत और ऊर्जा के लिए - जल में रोली और लाल पुष्प मिलाकर अर्घ्य दें.
    - राजकीय सेवा के लिए - जल में लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दें.
    - शीघ्र विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए - हल्दी मिलाकर दें अर्घ्य.
    - जीवन की हर दिशा में लाभ के लिए - सादा जल अर्पित करें.
    - पितर शांति और बाधा के निवारण के लिए - तिल और चावल मिलाकर अर्घ्य दें.

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